The 5-Second Trick For पारद शिवलिंग कैसा होता है

मनः शांति: स्फटिक शिवलिंग मन को शांत करने और एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है। नियमित पूजा से मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।

पारद, जिसे पारा भी कहा जाता है, एक तरल धातु है। पारद शिवलिंग को अत्यंत शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में इसकी महिमा का वर्णन इस प्रकार है:

देवता, असुर और मानव के लिए अलग-अलग हैं शिवलिंग, जानिए अद्भुत जानकारी

एस्ट्रोटॉक पर प्रेम अनुकूलता और विवाह भविष्यवाणी की जाँच करें। सर्वोत्तम राशिफल और कुंडली मिलान भविष्यवाणियां प्राप्त करें।

In massive metropolitan areas exactly where nuclear people are definitely the purchase with the working day, Siddh Parad Shivling benefits worship will harmonise the relationships amongst all of the members of the family. It makes sure a house of prosperity and peace. There will be no want; all human requirements will keep on being bestowed within the family members.

मोक्ष की प्राप्ति: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पारद शिवलिंग की नियमित पूजा मोक्ष की प्राप्ति में सहायक मानी जाती है।

काही जण शिवपिंड ठेवतात आणि १२ तास बाहेर असतात पण घरातल्या पिंडीवर साधे पाणी सुद्धा अर्पण करण्यासाठी त्यांना वेळ मिळत नाही. 

आपल्या शहरातील ताज्या बातम्या आणि ई-पेपर मिळवा मोफत

अशी आख्यायिका मिळते कि समुद्र मंथनाच्या वेळी मोहिनी रूपातल्या स्त्री रुपी विष्णू ला पाहून शिव मोहित झाले आणि त्यांच्या मैथुन क्रियेतून पारा रुपी द्रव उत्त्पत्तीत आला.

इसके बाद पर पराद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जलाना चाहिए।

पारद को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है और ब्रह्माण्ड को जन्म देने वाले उनके वीर्य का प्रतीक भी इसे माना जाता है। धातुओं में अगर पारद को शिव का स्वरूप माना गया है तो ताम्र को माँ पार्वती का स्वरूप। इन दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर सामने आ जाता है। ठोस पारद के साथ ताम्र को जब उच्च तापमान पर गर्म करते हैं तो ताम्र का रंग स्वर्णमय हो जाता get more info है। इसीलिए ऐसे शिवलिंग को सुवर्ण रसलिंग भी कहते हैं।

१२ ज्योतिर्लिंगाचे पूजन केल्याचे जेव्हढे फळ आहे ते एकट्या पारद शिवलिंगच्या पूजेत सामावलेले आहे.

पारद शिवलिंग के दर्शन करके स्पर्श करने मात्र से महादेव प्रसन्न हो जाते है

आमतौर पर हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की साकार रूप की पूजा होती है, जिनके हाथ, पैर, चेहरा आदि होता है, लेकिन एकमात्र शिव ऐसे देव हैं जो साकार और निराकार दोनों रूपों में पूजे जाते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *